आजकल उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उठा पटक अपने चरम पर है। एक तरफ मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव हैं, तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव। लोगों को बात समझ में नही आ रही कि मुलायम सिंह जैसा जबर खिलाडी कैसे मात खा रहा है ? जिस परिवार का प्रत्येक वयस्क व्यक्ति किसी न किसी महत्वपूर्ण पद पर है,उस परिवार के बीच इस तरह की सड़कछाप लड़ाई क्यों हो रही है ?जानकारों में झगड़े को लेकर मतभेद है। कई मत मतान्तर प्रस्तुत किये जा रहे हैं। एक एक करके इन्हें देखना ज़रूरी है।
पहला मत है कि इस झगडे के पीछे अखिलेश जी की सौतेली माँ का हाथ है। ऐसे मत के पीछे उन दिव्य लोगों का हाथ है जो हर सौतेली माँ में कैकेयी की छवि देख लेते हैं।
दूसरे मत के अनुसार मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल के प्रभाव में हैं और शिवपाल ,मुख्यमंत्री ना बन पाने की कुंठा में ज़्यादा से ज़्यादा अधिकार अपने पास रखना चाहते हैं। इस मत के समर्थकों का तो ये भी मानना है की जब भी मुलायम सिंह,शिवपाल के खिलाफ जाने की कोशिश करते हैं,शिवपाल सिंह बड़े ज़ोर ज़ोर से करन-अर्जुन फिल्म का गाना (ये बंधन तो प्यार का बंधन है ) बजा देते हैं और मुलायम सिंह पिघल जाते हैं।
तीसरे मत के अनुसार अखिलेश अब खुद मुख्तार होना चाहते हैं ,अर्थात सारे निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं। जैसे की भंसाली की फिल्म जोधा अकबर में अकबर लेने लगा था। ये और बात है की यहाँ पर शिवपाल हज पर जाने को तैयार नहीं। कहनेवाले तो ये भी कहते हैं कि अखिलेश दागी लोगों से दूरी बनाये रखना चाहते हैं अर्थात स्वच्छ छवि बनाना चाहते हैं लेकिन शिवपाल स्वच्छ छवि जैसी दकियानूसी बातों में भरोसा नहीं रखते और न मुलायम सिंह जी।
वैसे एक चौथा मत भी है जिसके अनुसार ये नूरा कुश्ती है,जैसा की राहुल कँवल ने अपने ट्वीटर पर बताया। इसमें शिवपाल को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करना है और अखिलेश को नायक के रूप में। वैसे भी मुलायम सिंह जी को कुश्ती का अच्छा ज्ञान है तो नूरा कुश्ती भी जानते ही होंगे।
जब मैंने ये सारी बातें पंडित सेवा प्रसाद जी को बताई तो वो चिढ गए। बोले -यहाँ परिवार में महाभारत हो रहा है और उत्तर प्रदेश की बदनामी हो रही है और तुझे मत मतान्तर सूझ रहा है ?मैंने हंसते हुए पूछा -वैसे आपका क्या कहना है ?पंडित जी पहले तो चुप से रहे और फिर बोल पड़े -" देखो बे! बात ये है कि सत्ता के लिए संघर्ष होता था ,होता है और होता रहेगा। अखिलेश नया खून है, वो अपने तरीके से सरकार चलाना चाहता है, और ये सब उसे चलाने ना दे रहे हैं। "मैंने पूछा -तो इसका मतलब शिवपाल और खेमा गलत है ?पंडित जी ने आँखे तरेरी और बोले -तुम लोगों में यही कमी है। अबे इतनी जल्दी निष्कर्ष पर क्यों पहुँच जाते हो ?देखो बे !बात ये है कि जब इस टीपू का कहीं पता ठिकाना ना था; तब मुलायम के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर शिवपाल चला था; और ये साला कोई राजतन्त्र थोड़े है कि बाप के बाद बेटा गद्दी बैठेगा ?"अब तक पंडित जी गुस्से से कांपने लगे थे। मैंने डरते डरते पूछा -लेकिन पंडित जी !अखिलेश तो सिर्फ चाहते हैं कि उनकी पार्टी की छवि गुंडे बदमाशों की पार्टी वाली ना रहे। इसमें क्या गलत है ?अब पंडित जी का पारा सातवें आसमान पर था। अबे झंडू !जब ई अखिलेश मुख्यमंत्री बने थे तो समाजवादी पार्टी संत महात्माओं की पार्टी थी ?तब काहे नहीं मना कर दिए कि गुंडों वाली पार्टी के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे।बाप-बेटा तो आज नहीं कल एक हो जायेंगे। बेचारे शिवपाल को विलेन बना दिया।
मैंने फिर पूछा -गुरूजी !दोनों फरीक का ये कहना है कि इस झगड़े के पीछे बाहरी आदमी का हाथ है। अखिलेश का इशारा अमर सिंह की ओर है तो शिवपाल का इशारा रामगोपाल की ओर। "पंडित जी ने कहा -क्या ये दोनों पक्ष इतने नासमझ हैं कि दूसरों के हाथों में खेल रहे हैं ?जब बारिश में कोई मकान गिरता है तो दोष क्या केवल बारिश का होता है ?अगर दोष केवल बारिश का होता,तब तो सारे मकान गिर जाने चाहिए। अपना दोष दर्शन करना चाहिए। दूसरे तो आपकी कमियों का लाभ उठाते ही हैं। ये बात तो मुलायम सिंह और शिवपाल भी बखूबी जानते हैं।
शाम हो रही थी ,पंडित जी भयंकर क्रोध में थे और मेरे पास एक आखिरी सवाल था। झिझकते हुए पूछा -पंडित जी अब क्या होगा ?दो घडी की चुप्पी के बाद दार्शनिक अंदाज़ में बोले -आगे बढ़ना मनुष्य का धर्म है और नियति भी। इसलिए आगे चलते रहो। ये उत्तर प्रदेश का दंगल है बस देखते जाओ। मैंने कुछ और पूछने के लिए मुंह खोला ही था कि पंडित जी बिगड़ गए। बोले -सुने नहीं हो क्या ?आगे बढ़ना मनुष्य का धर्म है..... इसलिए आगे चलते रहो. .......
Well done sir
ReplyDeleteVery nicely explained the intricacies of UP dangal. ������������
ReplyDeleteRare phenomenon of politics.#DangalUpKa. Needed some mindful persons in khadi.Hail Development
ReplyDeleteबहुत बढ़िया नवाचार लिख रहे हैं।ऐसे ही अपनी लेखनी को आगे बढ़ाते रहिये।
ReplyDeleteAti vicharniya vichar
ReplyDeleteU.P. K dangal ko bahut badhiya roop mai prastut kiya h. Ese hi likhte rahiye sirji
ReplyDeleteNice Tiwari Ji
ReplyDeleteबहुत सुंदर गुरुजी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गुरुजी.
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