हवा में फैले
डिजेल - पेट्रोल की गंध
के बीच,
तुम्हारी ओढ़नी की खुशबू
महसूसने की कोशिश
और ;
तुम्हारे बगल में लेटकर
तुम्हारी आँखों में खिलते
फूलों के बगीचे में
ज़ज्ब होने की कोशिश करता हूँ
तब ;
बेतरतीब बढ़ जाता है
मेरा खुरदुरापन और :
अपराधबोध ।
हाँ !ये खरा सौदा तो नहीं
मगर ;
अपनी वीरान और बारिश से भरी
आंखों का आमंत्रण ही दे सकता हूँ
तुम्हारे खिलते फूलों के
बगीचे के बदले ।
No comments:
Post a Comment