Monday, February 20, 2017

भारतीय संविधान की विशेषताएं


भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विशाल संविधान है। इसकी विशालता के कई कारण हैं। भारत का बहुभाषायी , बहुसांस्कृतिक समाज तथा इसकी विशेष परिस्थितियां। भारत का संविधान विभिन्न संविधानों और स्रोतों से प्रेरित है। कई जगहों से नियमों को उठाकर अपने देश की परिस्थितियों के अनुसार ढाला गया और लागू किया गया है। 
विभिन्न संविधानों व स्रोतों से प्रेरित
1 - भारत शासन अधिनियम,1935 - इस अधिनियम की बहुत सारी बातें भारतीय संविधान में शामिल कर  ली गयीं।
    - संघीय व्यवस्था और प्रांतीय स्वायत्तता
    - केंद्र में दो सदनीय व्यवस्था
    - अध्यादेश की शक्ति
    - संघ और प्रान्तों के मध्य शक्तियों का बंटवारा
    - तीन सूचियां -संघ सूची,राज्य सूची,और समवर्ती सूची
2 - अध्यादेश,नियम - विनियम,आदेश - मूल संविधान में केंद्रीय संसद द्वारा बनाये गए कानून शामिल हो गए,जैसे-
  - राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम,1952
  - अस्पृश्यता दंड संबंधी अधिनियम,1955
  - जन प्रतिनिधित्व अधिनियम,1957
  - भारतीय नागरिकता अधिनियम,1959
3 - विश्व के अन्य संविधानों का प्रभाव
ब्रिटेन
         -सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव का फैसला
         - संसदीय शासन प्रणाली
         - विधि का शासन
         - विधायिका में अध्यक्ष का पद और भूमिका
         - कानून निर्माण की विधि
         -  मंत्रीमंडल सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी
         -  राष्ट्रपति ब्रिटिश सम्राट की तरह नाममात्र का प्रधान
संयुक्त राज्य अमेरिका 
         -संघात्मक शासन व्यवस्था 
         - मौलिक अधिकारों का अध्याय 
         - स्वतंत्र एवं सर्वोच्च न्यायपालिका 
         - न्यायिक पुनर्विलोकन 
  फ्रांस 
       - स्वतंत्रता,समानता और बंधुत्व का सिद्धांत
       - गणतंत्र 
कनाडा 
      - एक अर्द्ध-संघात्मक सरकार का स्वरुप अर्थात सशक्त केंद्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था
      - अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत  
      - संयुक्त राज्य अमेरिका में अवशिष्ट शक्तियां राज्यों में निहित होती हैं ,भारत शासन अधिनियम,1935    में  अवशिष्ट शक्तियां गवर्नर जनरल में निहित थीं। जबकि भारत में  अवशिष्ट शक्तियां केंद्र में निहित हैं  जैसा कि कनाडा में है। 
आस्ट्रेलिया 
     -समवर्ती  सूची 
आयरलैंड 
    - नीति निदेशक तत्त्व 
जर्मनी 
    - आपातकालीन उपबंध 
4 - न्यायिक निर्णय - सर्वोच्च या उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए न्यायिक निर्णय भी संविधान के भाग बने। जैसे -चिंतामनराव के मुक़दमे में अनुच्छेद 19 में लिखित उचित सीमाओं की व्याख्या की गयी है। 
5 - प्रथाएं और अभिसमय - ये संविधान के अलिखित भाग हैं। जैसे -राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है ये नियम है किन्तु उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है यह प्रथा है। अथवा राष्ट्रपति लोकसभा को भंग करता है यह नियम है किन्तु ऐसा वह प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है यह प्रथा है। 
6 - संवैधानिक टीकाएँ और संविधान विशेषज्ञों के विचार - संविधान पर लिखी गयीं टीकाओं और विशेषज्ञों के विचार को भी संविधान के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। जैसे डी. डी. बसु की 'कमेंट्री ऑन द कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया', जेनिंग्स की 'सम कैरेक्टरिस्टिक्स ऑफ़ दि कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया' आदि।  

7 -विश्व का सबसे बड़ा संविधान -मूल संविधान में 395 अनुच्छेद व 8 अनुसूचियाँ थीं। 2016 तक संशोधनों व निरसनों के बाद 450 से ज़्यादा अनुच्छेद व 12 अनुसूचियाँ हैं।

-प्रान्तों के संविधान भी इसमें शामिल हैं।
-जम्मू और कश्मीर के लिए अलग से उपबंध हैं।
-नागालैंड असम मणिपुर आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात सिक्किम मिजोरम अरुणाचल प्रदेश और गोवा के लिए विशेष उपबंध।
8 -लचीला और कठोर -ज्यादातर उपबंधों में संशोधन आसान है। बहुत कम संशोधनों में राज्य के अनुसमर्थन या विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
-संघात्मक व एकात्मक शासन का संयोजन
-न्यायिक पुनर्विलोकन तथा संसद की सर्वोच्चता का एक साथ होना
-संसदीय शासन के साथ निर्वाचित राष्ट्रपति का संयोजन
-एकात्मकता की ओर उन्मुख संघ प्रणाली
-देशी रियासतों का विलय

9 -देशी रियासतों का एकीकरण और विलय

देशी रियासतों के एकीकरण और विलय के बाद भारत के सामने ये समस्या थी कि इन छोटी बड़ी देशी रियासतों को उचित आकर की प्रशासनिक इकाई में कैसे बदला जाये। इसके लिए एक तीन चरण वाली प्रक्रिया अपनायी गयी,जिसे सरदार पटेल के नाम पर ' पटेल स्कीम ' कहा गया।
(1) 216 रियासतों को उनके नज़दीकी प्रान्तों में मिला दिया गया तथा संविधान की पहली अनुसूची के भाग (ख)के राज्यों के राज्य क्षेत्र में शामिल किया गया। जैसे 1950 में कूच बिहार का पश्चिम बंगाल में विलय।
(2) 61 देशी रियासतों को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित कर दिया गया तथा इन्हें पहली अनुसूची के भाग (ग)में शामिल किया गया।
(3) देशी रियासतों के समूहों को आपस में मिलाकर नई इकाईयां बनायीं गयीं,जिन्हें राज्य संघ कहा गया। ऐसा पहला राज्य संघ सौराष्ट्र संघ था जिसमें काठियावाड़ और कुछ अन्य रियासतें मिला दी गयी(15 फ़रवरी 1948 )

अंतिम संघ -त्रावणकोर -कोचीन संघ,जो 1 जुलाई 1949 को बना।

275 रियासतों को मिलाकर 5 संघ बनाये गए।
1-मध्य भारत
2 -पटियाला और पूर्वी पंजाब संघ
3 -राजस्थान
4 -सौराष्ट्र
5 -त्रावणकोर और कोचीन
इन पांच राज्यों को संविधान की पहली अनुसूची के भाग (ख ) के राज्यों में शामिल किया गया। इस भाग में शामिल अन्य तीन राज्य थे - हैदराबाद ,मैसूर और जम्मू व कश्मीर।
-राज्यों का पुनः गठन -संविधान (7 वां )संशोधन 1956

==पहली अनुसूची के भाग (क) और भाग (ख) राज्यों को मिलाकर एक ही सूची  में तब्दील कर दिया गया।

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