Tuesday, February 21, 2017

भारतीय संविधान : संघात्मक या एकात्मक



अनुच्छेद 1 कहता है -  "भारत ,अर्थात इण्डिया राज्यों का संघ होगा।"
("India ,that is Bharat ,shall be a Union of states. ")

प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ.भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि संविधान की संरचना तो संघात्मक है,किन्तु समिति ने संविधान में (अनुच्छेद 1 ) Federal की जगह Union शब्द का प्रयोग किया है। इसके दो लाभ हैं।
1 - भारत का संघ इकाइयों के बीच किसी करार का परिणाम नहीं है।
2 - इकाइयों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है।

                      संघात्मक शासन के आवश्यक लक्षण
1 - संविधान की सर्वोच्चता - संघात्मक शासन व्यवस्था में संविधान सर्वोच्च होता है।
2 - संविधान लिखित व कठोर होता है- संविधान लिखित और उसके संशोधन की प्रक्रिया कठिन होती है। 
 - शक्तियों का विभाजन - संघ व इकाईयों/प्रान्तों के बीच शक्तियों का बंटवारा होता है।
         याद रखने वाली बात ये है कि  शक्तियों के  पृथक्करण और विभाजन (Separation of power and Division of power) में अंतर होता है। शक्तियों के पृथक्करण में एक प्रकार की शक्ति को दूसरे प्रकार की शक्ति से अलग किया जाता है। जैसे - कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालिका। शक्तियों के विभाजन में सभी प्रकार की शक्तियों को बांटा जाता है। दूसरे अर्थों में कहा जाय तो 100 ग्राम चना 200 ग्राम चावल में मिला हो तो पृथक्करण का मतलब होगा  चावल और चना को अलग-अलग करना। जबकि विभाजन का मतलब हुआ मिश्रित चना और चावल का बंटवारा।
4 - न्यायालय की सर्वोच्चता तथा न्यायिक पुनर्विलोकन - संघ व इकाइयों के मध्य  विवादों का निपटारा ,संविधान का संरक्षक व व्याख्याता तथा संसद द्वारा बनाये गए नियमों के वैधता की जांच करने के कारण संघीय व्यवस्था में न्यायालय की सर्वोच्चता स्थापित होती है
5 - दो सदनीय संसद - दो सदन होते हैं जिनमें से एक राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय संविधान में संघात्मकता की स्थिति 
1 - भारत के संविधान में कहीं सर्वोच्चता का ज़िक्र तो नहीं है किन्तु संविधान के उपबंध सभी सरकारों और संस्थाओं पर बाध्यकारी हैं,हालाँकि संशोधन की शक्ति संसद के पास है।
2 - भारत का संविधान एक निश्चित समय में लिखा गया है। इसके संशोधन की प्रक्रिया लचीली और कठोर का शानदार समन्वय है। इसके ज़्यादातर उपबंध सामान्य बहुमत से ,तो कुछ के लिए विशेष बहुमत और कुछ के लिए विशेष बहुमत के साथ आधे राज्यों की सहमति भी चाहिए।
3 - भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन संघ और प्रान्तों में किया गया है। तीन तरह की सूचियां है -संघ सूची,राज्य सूची और समवर्ती सूची।
4 - भारत के संविधान के संरक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय है,जिसके पास उन कानूनों को अवैधानिक ठहराने की शक्ति है, जो संविधान के ख़िलाफ़ हैं। 
5 - भारत में केंद्र में दो सदनीय संसद है। दूसरा सदन (उच्च सदन या राज्य सभा ) राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय संविधान में एकात्मकता के लक्षण
  1 - भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है,बल्कि इकहरी नागरिकता है।
  2 - भारत में न्यायपालिका का स्वरुप पिरामिड के आकार का है,अर्थात इकहरी न्यायपालिका।
  3 - भारत में राष्ट्रपति द्वारा राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति की जाती है जो राष्ट्रपति के प्रसाद-पर्यन्त अपने पद पर रहते हैं तथा केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य करते हैं।
  4 - भारत में शक्तियों का बंटवारा केंद्र के पक्ष में है। जैसे-संघ सूची में 97 विषय हैं और राज्य सूची में 66 विषय तथा समवर्ती सूची में 47 विषय हैं। अवशिष्ट शक्तियां संघ के हाथ में हैं। समवर्ती सूची पर संघ और राज्य के कानूनों में विभेद की दशा में संघ का कानून ही मान्य होगा।
  5 - अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद  राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों,सीमाओं या नामों में परिवर्तन  कर सकती है ( अमेरिका में संसद (कांग्रेस ) राज्यों के नाम ,क्षेत्र या सीमाओं में परिवर्तन नहीं कर सकती। इसीलिए उक्ति प्रसिद्ध है कि - अमेरिका अविनाशी राज्यों का अविनाशी संघ है जबकि भारत विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ)।
  6 - आपातकाल में (अनुच्छेद 352,356 और 360 ) राज्य  एकात्मक शासन के अंग हो जाते हैं।
   7 - राज्य आर्थिक दृष्टि से केंद्रीय सरकार पर निर्भर हैं।
   8  - भारत में अखिल भारतीय सेवाएं भारत को एकात्मक स्वरुप प्रदान करती हैं।
             निष्कर्षतः कहें तो भारत के संविधान में संघात्मकता और एकात्मकता दोनों के लक्षण पाए जाते हैं किन्तु झुकाव स्पष्टतः एकात्मकता की तरफ है। भारत की परिस्थितियां संयुक्त राज्य अमेरिका से भिन्न हैं अतः संघात्मकता का स्वरुप भी वहां से भिन्न ही होगा। यही बात ब्रिटेन की एकात्मक शासन व्यवस्था और भारत की शासन व्यवस्था के बारे में भी कही जा सकती है।   

5 comments:

  1. सर मुझे भारतीय सविधान संघात्मक होते हुए भी एकात्मक है।इसका आलोचनात्मक व्याख्या चाहिए

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